ग्लैमर्स चेहरे, सूट-बूट की चमक, तेज लाइट की चकाचौंध में चमकता चेहरा, एक-दो-चार-दस-पचास लोगों की भीड़ के बीच कैमरे की आंख में आंख डालते हुए सरकारी प्र-पंचतंत्र चाकरों के बीच, सरकार को कठघरे में खड़ा करती वो उठी हुई उंगलियां, और देखने वालों के सिर से लेकर पैर के नाखून तक रोंगटे खडे कर देने वाली तमाम उम्मीदों के बीच, आज मीडिया एक प्रश्न की तरह मूक खड़ा हुआ है? और वह प्रश्न है कि “क्या मीडिया आपका
... [Show full abstract] भविष्य है?”